कैसे कहूं
Posted On March 4, 2021
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कैसे लिखूं प्रेम जो कभी मिला ही नहीं
देखा नहीं गुना नहीं महसूस किया ही नहीं
मन मे उगे हैं नफरतों की नागफनियां
गुलाबों से पाला कभी पड़ा ही नहीं
कैसे गाऊं राग मल्हार और कजरी
फुहारों से नाता कभी रहा ही नहीं
ऊसर बियाबान सी ज़िंदगी बसर हुई
गुलशन की हंसी कभी मिली ही नहीं
पकड़ना जो चाहा मुट्ठी में चंद खुशियां
तब्दील हुई आंसू में हाथ आई ही नहीं
कैसे गाऊं प्रेम रस के मैं नगमें
प्रेम से वास्ता मेरा कभी पड़ा ही नहीं
बयां मुझसे हो कैसे अफसाना ए मोहब्बत
मैंने कभी उसको छुआ ही नहीं
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