ThoughtBox-1
- “निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल
बिन निज भाषा–ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल“
–भारतेन्दु हरिश्चंद्र
2) ‘सोने की कटार पर मुग्ध होकर उसे कोई अपने ह्रदय में डुबा नहीं सकता।‘
– जय शंकर प्रसाद
3) ‘कठिन कामों को तब करें जब वे आसान हों और महान कामों को तब करें जब वे छोटी हों, हज़ारों मीलों की यात्रा एक कदम से ही शुरू होती है।‘
– लाओत्से
4) “प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है।“
–रबीन्द्रनाथ ठाकुर
5) “आनन्द के समय जितना ही चुप रहा जाए, आनन्द उतना ही स्थायी होता है, और तभी उसकी अनुभूति का सच्चा सुख भी प्राप्त होता है।”
–सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला‘v