सौंदर्य दीप्ति से आलोकित युग चेतनता के संवाहक संस्कृति के जागरुक प्रहरी तुम पूत मनुजता के गायक छन्दों में उर की पीड़ा का बाँधा था कोमल स्पंदन अपने म्रदु मेघ मन्द्र स्वर से सरसाया कविता का कानन साहित्य जगत के […]
सौंदर्य दीप्ति से आलोकित युग चेतनता के संवाहक संस्कृति के जागरुक प्रहरी तुम पूत मनुजता के गायक छन्दों में उर की पीड़ा का बाँधा था कोमल स्पंदन अपने म्रदु मेघ मन्द्र स्वर से सरसाया कविता का कानन साहित्य जगत के […]
नन्हें नन्हें कुछ स्वप्नों का, रचते हो सुंदर संसार ललित कल्पना से कर लेते, छुप–छुप कर उसका श्रृंगार सुधियों में अंचल को जिसके देख–देख मुस्काते हो, क्यूँ नहीं मन कह देते उससे आकुल अंतर की मनुहार? जिसकी छवि को ह्रदय–पटलपर […]
कैसे लिखूं प्रेम जो कभी मिला ही नहीं देखा नहीं गुना नहीं महसूस किया ही नहीं मन मे उगे हैं नफरतों की नागफनियां गुलाबों से पाला कभी पड़ा ही नहीं कैसे गाऊं राग मल्हार और कजरी फुहारों से नाता कभी […]
रातों की सरहदों पर सुबह के निशान मिले तारों के झुरमुटों परे सूरज के मकान मिले… बरामद हुई अंधेरे की पोटली से तमाम शज़रो की छाया दिन की अदालत को धूप के बयान मिले… मिले कई स्याह मोती अन्धेरे जहाँ […]
आज इन बूँदों को पकड़ लम्बी सी रस्सी बना , बादलों मे गुदगुदी कर आती हूँ ! वही बैठ चाय की चुस्की भी ले आती हूँ! अकेले ही सही , कुछ तो वक़्त कटेगा ! सिर्फ़ बारिश बादल और मैं! […]
आज बहुत उद्वेलित है मन हृदय के दर्पण पर किसी ने पाषाण प्रहार किया है। शांत झील के जल में हिमखंड सा वह प्रस्तर, मन को हलचल से भर गया है। विदीर्ण हृदय हो गया है चूर–चूर, हे ईश! स्वार्थी […]
पापा ! मेरी तितली मर क्यों जाती है ? कितने प्यार से, धीरे से, हौले से; मैं इसे पकड़ती हूँ । फिर इसे सख्ती से नहीं, कोमलता से थामती हूँ । फिर एक हाथ से, काँच की एकदम साफ़ चमकदार […]
जो तुम आ जाते एक बार कितनी करुणा कितने सँदेश, पथ में बिछ जाते बन पराग, गाता प्राणों का तार–तार अनुराग–भरा उन्माद–राग; आँसू लेते वे पद पखार ! जो तुम आ जाते एक बार ! हँस उठते पल में आर्द्र […]
तुम सीमाओं के प्रेमी हो, मुझको वही अकथ्य है, मुझको वह विश्वास चाहिए जो औरों का सत्य है । मेरी व्यापक स्वानुभूति में क्या जानो, क्या बात है सब–कुछ ज्यों कोरा काग़ज़ है, यहाँ कोई न घात है । तर्कों […]
मन हर लीन्हो मोरा बाँके बिहारी नन्द किशोरा जानत सबरी बात हिया की कृष्ण कन्हैया हुए चित्तचोरा आओ कन्हाई मिलन ऋतु आई कारे बदरा गरज घनघोरा
Rhyvers is a delightful portal unlike any other. It offers a complete sensory experience, pulling you in the undercurrents of its surprising twists and turns. The minute you touch its electric waters, you get swept into its rapids of breathtaking Art, Culture, Tourism and you shall come again and again to surf on it's ever evolving journeys. We shall splash you with true waves of inspiration every single day from our end.