रल मिल रौनक पाओ सारे आज वैसाखी आई है खेतों विच साडी मेहनत दी आज फसल लहराई है माथे टीका हाथों चूड़ियाँ फुलकारी ओढ़े है सखियाँ गिद्दा पाने सोहनी कुड़ियाँ आज सज-धज के आई हैं पाके जट कुर्ता पटियाला फड़के […]
रल मिल रौनक पाओ सारे आज वैसाखी आई है खेतों विच साडी मेहनत दी आज फसल लहराई है माथे टीका हाथों चूड़ियाँ फुलकारी ओढ़े है सखियाँ गिद्दा पाने सोहनी कुड़ियाँ आज सज-धज के आई हैं पाके जट कुर्ता पटियाला फड़के […]
जब देखती हूँ लन्दनकीइनलड़कियोंके चेहरे की दमक, क़दमोंकाआत्मविश्वास और आभा का तेज, तो न चाहते हुए भी मेराख्यालमेरेदेशकीलड़कियोंपर चला जाता है और मुझे याद आ जाता है सर्कस का वो खेल जिसमें एक लड़की को एक गोले पर बाँधदियाजाताथा और […]
मेरेदिलकोनादाँनसमझऐदुनिया ये नहीं ज़ुल्म से अनजान भलाईकीचाहमेंलेकिन सितम को भी सह लिया हमेंरिश्तोंकिआड़मेंदर्दमिला तोखुदसेमुँहमोड़कर बीवियोंकोजोघावलगे बेटियोंनछुपालिया जिसके जिस्म–ओ –जानसेतूनेखिलवाड़किया इलज़ामलगातेहोउसीपर बेवफातुमहोपर हमेंबेहयाकहलाया किसीग़रीबकेपेटकोमारदिया बिकगयातेराईमान इन्साफकरनेजोकोईआये कहना हमने तुम्हे मुआफ किया मेरेदिलकोनादाँनसमझऐदुनिया ये नहीं ज़ुल्म से अनजान भलाईकीचाहमेंलेकिन हर सितम को […]
कृष्णमयी मैं हुई रसोमयी भीतर रसरंग मचो है री अब जगन हुई मैं मगन हुई पग नुपुर बाँध गयो है री यह थाप सुनो हिय नाद सुनो सखी कान्हा आए पधारे हैं दियो कृष्ण रतन मेरी झोली में गर बईयाँ […]
देख आस पास देख…. ये बोसीदा से रिश्ते, यूँ ही बेज़ार, बेरौनक़ से चेहरे, ये सस्ते झूठे से रिश्ते, बनावटी हँसी में अन्दर तक सिसकते से रिश्ते देख आस पास देख…. हर बात पर तंज तल्ख़ी से भरे ख़ामख़ा से […]
तुम्हारा स्पर्श मुझे रेगिस्तान में पानी जैसा लगा उस पल, तुम कितना दे सकते हो मुझे? पूरा समन्दर, या नदी , झरने या बरसात की कुछ बूँदें … पत्तियों पर बूँदें देखी है कभी ? उन जैसी ही ख़ुशी तुम […]
तुम नहीं आये .. बस भेज दी मेरे लिये रुक्के में बन्द खट्टी मीठी सी फुहारें … कहा .. महसूस करो मुझे.. मेरे उन सख़्त हाथों की हरारत इन ज़ुल्फ़ों में, सोक लेना खुद को बारिशों में पिछली दफ़ा की […]
ख़्यालों में चाह नहीं होती किसी की, कभी मैं परिंदा बन जाती हूँ, दूर बादलों के छोर तक पंखों को फैलाती ,चीरती, चहचहातीं.. तो कभी ओस की बूँद सी शांत ठहरी, यूँ ही उन पत्तों के किनारे, हल्के झोंके से […]
लफ़्ज़ है, मायने है, पर ना जाने मैं टाँक नहीं पाती उन्हें किसी पंक्ति में, किसी सीरें में, हर शब्द हाशिये का, एक बिन्दु का मोहताज है कही, एक मायने की शक्ल लेने के लिये … समझो ना.. कभी हाशिये […]
छोड़ दो ना उन ग़लतियों में मुझे खलने दो ना स्टापू छिपा छुपी उस नुक्कड़ से उस चौबारे तक.. उस टोली के संग … चलो बैठे यही चौक पे, आज उड़ाये खिल्ली चौबे जी की, ले आओ ना रंग बिरंगी […]
Rhyvers is a delightful portal unlike any other. It offers a complete sensory experience, pulling you in the undercurrents of its surprising twists and turns. The minute you touch its electric waters, you get swept into its rapids of breathtaking Art, Culture, Tourism and you shall come again and again to surf on it's ever evolving journeys. We shall splash you with true waves of inspiration every single day from our end.