“दश्तों ग़ुबार”
Posted On July 25, 2021
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देख आस पास देख….
ये बोसीदा से रिश्ते,
यूँ ही बेज़ार, बेरौनक़ से चेहरे,
ये सस्ते झूठे से रिश्ते,
बनावटी हँसी में अन्दर तक सिसकते से रिश्ते
देख आस पास देख….
हर बात पर तंज तल्ख़ी से भरे ख़ामख़ा से रिश्ते,
ज़िन्दा सी लाश ढोते
खूबसूरत कारीगरी में लिपट कफ़न ओढ़े से रिश्ते, अनदेखे काँधो के दर्द को सहते से ,
इसको उसको खुद को ख़ुशफ़हमी मे मुब्तला कर गफ़लत में आख़री साँस लेते से रिश्ते
देख बस तू देख ..
उस दश्तों ग़ुबार को देख…
बस तू गौर से देख…
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