तसल्लियाँ
Posted On July 25, 2021
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तुम नहीं आये ..
बस भेज दी मेरे लिये रुक्के में बन्द
खट्टी मीठी सी फुहारें …
कहा .. महसूस करो मुझे..
मेरे उन सख़्त हाथों की हरारत इन ज़ुल्फ़ों में,
सोक लेना खुद को बारिशों में
पिछली दफ़ा की तरह…
सोक लेना खुद को बारिशों में …
पिछली दफ़ा की तरह… तुम नहीं आये,
बस भेज दी मेरे लिये….
रुक्के में बन्द ठंडी बदहवास हवा ,
कहा .. खोल दो ये तमाम बंदिशें
दहकने दो ये बदन उस ख़ुशनुमा मंजर के लिये
कहा …खोल दो ये तमाम बंदिशें
दहकने दो ये बदन उस ख़ुशनुमा मंजर के लिये
…तुम नहीं आये …
बस भेज दी रुक्के में बन्द ..
खुद की ख़ुशबू, कुछ सिलवटें,
एक चिढ़ाती सी मुस्कान ….
और एक कच्चा पक्का वादा…
पर ..ये रुक्के नहीं अज्जियतों की पोटली है जनाब
तुम नहीं आये ……
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