ख़्याल सा आसमाँ
Posted On July 25, 2021
0
3.3K Views
ख़्यालों में चाह नहीं होती किसी की,
कभी मैं परिंदा बन जाती हूँ,
दूर बादलों के छोर तक
पंखों को फैलाती ,चीरती, चहचहातीं..
तो कभी ओस की बूँद सी शांत ठहरी,
यूँ ही उन पत्तों के किनारे,
हल्के झोंके से डरती सहमती …
देखो ..मन पतंग सा है ..,
इस सिरे से उस सिरे तक कहानियों का पुलिंदा,
कितना इतराती है पतंग,जब छूती है आसमाँ
बे ख़ौफ़.. इस डर को जाने बिना..
कोई है उसकी छोर का मालिक..
कब कट तार तार होगी …. क्या जाने …
Trending Now
Aabhaas Edition 2
March 19, 2024
Aabhaas Edition 3
August 1, 2024