स्पर्श
Posted On July 25, 2021
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तुम्हारा स्पर्श मुझे रेगिस्तान में पानी जैसा लगा उस पल,
तुम कितना दे सकते हो मुझे?
पूरा समन्दर, या नदी ,
झरने या बरसात की कुछ बूँदें …
पत्तियों पर बूँदें देखी है कभी ?
उन जैसी ही ख़ुशी तुम देते हो मुझे,
समन्दर दो या कुछ बूँदें…
हरी मैं तब भी हो जाऊँगी,
बूँदों से चैन मिलेगा मुझे..
समन्दर से शायद डर जाऊँ कही ..
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